...

7 views

गज़ल
मुहब्बत हो गयी है अब मुझे रुसवाईयों से क्या,
क़लन्दर को तुम्हारी दहर और रानाईयों से क्या।

अजल से हो मुहब्बत ये मुहब्बत का तक़ाज़ा है,
ये दरिया जानलेवा है मगर गहराईयों से क्या।

हुआ नाज़ा कमाल-ए-इश्क़ भी ज़ात-ए-मुकम्मल पर,
तू...