...

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जीवन पथ
जीवन पथ पर चलते चलते
क्या खोया क्या पाया है
आपा भूल अपना पराया में
भटकते मोह लोभ बढ़ाया है
सत्संग छोड़ कुसंग अपनाया है
इंद्रिय विकारों ने भरमाया है
ईमान का रखा मान नहीं
झूठ फरेब पाखंड ही छाया है
प्रेम में अधीर रहे हम
आकर्षण तन सौंदर्य में पाया है
त्याग समर्पण दया क्षमा नहीं
मन अंधकार में ही समाया है
गुरुज्ञान बिना जीवन मझधार में
भव से पार होना ना आया है


© mast.fakir chal akela