7 views
जीवन पथ
जीवन पथ पर चलते चलते
क्या खोया क्या पाया है
आपा भूल अपना पराया में
भटकते मोह लोभ बढ़ाया है
सत्संग छोड़ कुसंग अपनाया है
इंद्रिय विकारों ने भरमाया है
ईमान का रखा मान नहीं
झूठ फरेब पाखंड ही छाया है
प्रेम में अधीर रहे हम
आकर्षण तन सौंदर्य में पाया है
त्याग समर्पण दया क्षमा नहीं
मन अंधकार में ही समाया है
गुरुज्ञान बिना जीवन मझधार में
भव से पार होना ना आया है
© mast.fakir chal akela
क्या खोया क्या पाया है
आपा भूल अपना पराया में
भटकते मोह लोभ बढ़ाया है
सत्संग छोड़ कुसंग अपनाया है
इंद्रिय विकारों ने भरमाया है
ईमान का रखा मान नहीं
झूठ फरेब पाखंड ही छाया है
प्रेम में अधीर रहे हम
आकर्षण तन सौंदर्य में पाया है
त्याग समर्पण दया क्षमा नहीं
मन अंधकार में ही समाया है
गुरुज्ञान बिना जीवन मझधार में
भव से पार होना ना आया है
© mast.fakir chal akela
Related Stories
10 Likes
1
Comments
10 Likes
1
Comments