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धोखा
जब अपने धोखा देते हैं,
दिल बेहलाते हैं,
यादों के जाल में,
मन को उलझाते हैं।
धुंधला सा हो जाता है,
सपनों का आँगन,
आँखों में आंसू छुपे,
दिल के आगे कीचड़ है।
जब अपने धोखा देते हैं,
दर्द छिपाते हैं,
मुस्कान के पीछे,
आंखों को बहलाते हैं।
पर क्या कहें,
उन दिलों को,
जो धोखा खा चुके हैं,
कि हर धोखा,
एक सिखा देता है,
एक नया सबक।
© abinasha
दिल बेहलाते हैं,
यादों के जाल में,
मन को उलझाते हैं।
धुंधला सा हो जाता है,
सपनों का आँगन,
आँखों में आंसू छुपे,
दिल के आगे कीचड़ है।
जब अपने धोखा देते हैं,
दर्द छिपाते हैं,
मुस्कान के पीछे,
आंखों को बहलाते हैं।
पर क्या कहें,
उन दिलों को,
जो धोखा खा चुके हैं,
कि हर धोखा,
एक सिखा देता है,
एक नया सबक।
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