“क्यूं ख़फ़ा है हर कोई”
किसपे यकीं करेंगे
ये हम सोचते रहे
किसको कहेंगे अपना
यही मसअला भी है
कोई भी अपना होता नही
हर जतन के बाद
हर शख़्स यहां
धोके पे धोके
दिए गए
हम इल्तिजा ओ इश्क़ के
मारे हुए लोग
क्यूं इल्तिजा पे इल्तिजा...
ये हम सोचते रहे
किसको कहेंगे अपना
यही मसअला भी है
कोई भी अपना होता नही
हर जतन के बाद
हर शख़्स यहां
धोके पे धोके
दिए गए
हम इल्तिजा ओ इश्क़ के
मारे हुए लोग
क्यूं इल्तिजा पे इल्तिजा...