...

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ख़ुमारी
ख़ुमारी तेरे इश्क़ की अब उतरती नहीं
तुम्हें देखे बिना जिन्दगी संवरती नहीं

ज़िक्र तेरा मेरी हर ग़ज़ल में आ ही जाता है
धड़कनें दिल से दूर रह कर धड़कती नहीं

बिखरी पड़ी है चाँदनी हरसू फ़लक पर
ज़ेहन से तेरी सूरत अब दरकती नहीं

तन्हां दिल के साथ छोड़ दो अब मुझे
फरिश्तों को यह मोहब्बत परखती नहीं

बेचैनी अपनी बयां करना अब फ़िज़ूल हैं
अल्फ़ाज़ मेरे यह दुनिया समझती नहीं

© वसुधा गोयल