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मौत के सामान
नए नए आसमान तलाशे जा रहे हैं
घर के उजड़े जहान तलाशे जा रहे हैं
मिट गए हैं ख़ाक में हम मगर फिर भी
मौत के नए नए सामान तलाशे जा रहे हैं
और एक वही रात वस्ल कि गुनाह है सर पे
चराग़ों के लिए जहां दीवान तलाशे जा रहे हैं
उसके जाने का हुनर भी क्या हुनर था यारो
उसके बाद भी खुद को तलाशे जा रहे हैं
कि शज़र के उतारे गए हैं कुछ लोग
कुछ निगाहों में तलाशे जा रहे हैं
किसी भी मुकद्'दर में हासिल नहीं है वो
हम हथेली कि ख़ाक तलाशे जा रहे हैं
© Narender Kumar Arya
घर के उजड़े जहान तलाशे जा रहे हैं
मिट गए हैं ख़ाक में हम मगर फिर भी
मौत के नए नए सामान तलाशे जा रहे हैं
और एक वही रात वस्ल कि गुनाह है सर पे
चराग़ों के लिए जहां दीवान तलाशे जा रहे हैं
उसके जाने का हुनर भी क्या हुनर था यारो
उसके बाद भी खुद को तलाशे जा रहे हैं
कि शज़र के उतारे गए हैं कुछ लोग
कुछ निगाहों में तलाशे जा रहे हैं
किसी भी मुकद्'दर में हासिल नहीं है वो
हम हथेली कि ख़ाक तलाशे जा रहे हैं
© Narender Kumar Arya
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