विरक्त मन
मेरा प्रणाम
मेरा लेख पढ़ने
वालो को,
जिंदगी गुलज़ार है
क्षणिक जीवन समझने वाले को,
भाव में हूं,
आवेश में हूं,
कैसे बतलाऊ जिंदगी का सार!
जिंदगी विरक्त हैं !
मंजिलो कि है चाह!
भाग दौड़ जिंदगी में,
अपना भी नाम लिया है लिखवा,
मंजिलो से मिला दे!
आह ! मेरे मन
आह! मेरे मन
दृश्यता बनू या
दृश्य की आड़ करूं,
नारी हूं!
समग्रता को पहचानती हूं,
जिंदगी को उदेङने कि चाह है,
शाश्वता ही
मृदुल भाव है,
उत्पन्न हुआ कहा से
समग्र संसार,
आ रहा विग्रल भाव!
भय में...
मेरा लेख पढ़ने
वालो को,
जिंदगी गुलज़ार है
क्षणिक जीवन समझने वाले को,
भाव में हूं,
आवेश में हूं,
कैसे बतलाऊ जिंदगी का सार!
जिंदगी विरक्त हैं !
मंजिलो कि है चाह!
भाग दौड़ जिंदगी में,
अपना भी नाम लिया है लिखवा,
मंजिलो से मिला दे!
आह ! मेरे मन
आह! मेरे मन
दृश्यता बनू या
दृश्य की आड़ करूं,
नारी हूं!
समग्रता को पहचानती हूं,
जिंदगी को उदेङने कि चाह है,
शाश्वता ही
मृदुल भाव है,
उत्पन्न हुआ कहा से
समग्र संसार,
आ रहा विग्रल भाव!
भय में...