पढ़ती नहीं, बस महसूस करती हूं।
जो लिखते हो तुम पढ़ती नहीं
बस महसूस करती हूं।
मुस्कुराती हूं,छुपकर
तुझको याद करती हूं
डरती हूं,कोई पूछ न ले।
कोई देख न ले,
समझ न ले,
जान न ले,
बहाना ढूंढती हूं
कैसे बुलाऊं
क्या बाटलाऊ
फूलों की क्यारी दिखलाऊ या
गमले में पेड़
बरी उथल पुथल
मन में,
पर उसको पढ़ पाना मुस्किल है।
कुछ खास वो दिखता नहीं
मेरी फिक्र भी नहीं
फिर क्यों
अब बस
रूक भी जाओ।
सिर्फ पढ़ लो
जरूरत नहीं बाकी,कुछ की
#अमृता
© All Rights Reserved
बस महसूस करती हूं।
मुस्कुराती हूं,छुपकर
तुझको याद करती हूं
डरती हूं,कोई पूछ न ले।
कोई देख न ले,
समझ न ले,
जान न ले,
बहाना ढूंढती हूं
कैसे बुलाऊं
क्या बाटलाऊ
फूलों की क्यारी दिखलाऊ या
गमले में पेड़
बरी उथल पुथल
मन में,
पर उसको पढ़ पाना मुस्किल है।
कुछ खास वो दिखता नहीं
मेरी फिक्र भी नहीं
फिर क्यों
अब बस
रूक भी जाओ।
सिर्फ पढ़ लो
जरूरत नहीं बाकी,कुछ की
#अमृता
© All Rights Reserved