दर्पण से झांकती सिर्फ परछाई है
#दर्पणप्रतिबिंब
बिंब निहारता मैं खुद ही से कहता
क्यूं मिलता नहीं मुझसे मेरा चेहरा
वो कुछ भोला सा दिख रहा पर गलत नहीं
पर लगता मुझमें बुद्धि की अधिकाई है
दर्पण से झांकती सिर्फ परछाई है
सच...
बिंब निहारता मैं खुद ही से कहता
क्यूं मिलता नहीं मुझसे मेरा चेहरा
वो कुछ भोला सा दिख रहा पर गलत नहीं
पर लगता मुझमें बुद्धि की अधिकाई है
दर्पण से झांकती सिर्फ परछाई है
सच...