...

4 views

किताबो के पन्ने
पन्ने पलटते -पलटते पता ही नहीं चला
जिंदगी यु उलट -पुलट सी होगयी
हम किताबों बे डूबे रहे
और सारी दुनिया बेरंगी सी होगयी

कुछ ख्वाईसे ऐसी भी थी
जैसे जीत लुंगी एक दिन पूरी दुनिया को
ऐसी बंदगी मुझमे ही थी

सपने देखे बड़े -बड़े जो एक दिन
पूरा जरूर कर लुंगी
यही सोच के मै सारी दुनिया से लड़ लुंगी

एक वक़्त ऐसा भी आएगा
ज़ब मंजिल और सपने
दोनों मेरे होंगे

और उन सपनो मे मेरा वो मुस्कुराता चेहरा

जिसने कितनी दफा खुद को गिर कर उठाया होगा
हार कर भी जीत के लिए कदम उठाया होगा
दोस्तों की दोस्ती से दूर खुद को अकेला कर
खुद से ही गम भुलाया होगा
इच्छाओ को मार कर बस किताबों के पन्नो से
इश्क़ फ़रमाया होगा



priyanka sahu