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माना मुश्किल है ज़िंदगी
सांसों का चलना आंखो से अश्कों का बहना,
ज़िंदगी में इस जिस्म पर लगा है चाहतों का गहना , कहते हैं लोग तुम्हारे जैसा कोई नहीं
उन्हें पता नहीं आईना एक ही हैं चहेरो की कोई
गिनती नहीं कौन कैसा है असल में ये आईने में
भी नज़र नहीं आता ,आंखो से देखा इतना भी
ये दिल समझ नहीं पाता ऊपरी बनावट आसान है अंदर की काया समझ नहीं आती
अंदर की परिस्थिति बाहरी परिस्थिति से
अलग बनी हुई हैं उसी तरह मनुष्य कहता कुछ करता कुछ दिल में अलग जुबा पर अलग रखते हैं कुछ लोग आज दूसरों के लिए ना अच्छा सोच रखते हैं ना बरताव
माना मुश्किल है जीना ज़िंदगी से मिले
हर जहर को पीना फिर भी जीना है चाहें
कितना भी जख्म मिले
लफ्जों को ख़ामोश रहने दो मेरे
मैने कौनसा गुनाह किया है लगता हैं
वक्त गुनाहों की भरपाई कर रहा इसलिए
हर नज़र में मैं गलत नज़र आ रहा हूं
ठीक हूं मैं जो सब को नज़र आ रहा हूं 😀✌🏻
#writcoapp
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