...

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तुम्हारा ख़्याल
तुम्हारा ख़्याल.. जैसे,
बारिश की हर बूंद के साथ
हर दफा_घुल-घुलकर
बरसता आसमां..
तुम्हारा ख़्याल.. जैसे,
बिना किसी जोर जतन के
बस हर तरफ_यूं ही
उग आए जंगली फूल..
तुम्हारा ख़्याल.. जैसे,
दिमाग़ में बज रहा फितूर सा
ख़ालिस संगीत,
जो पता नहीं कब कहां सुना था..
तुम्हारा ख़्याल.. जैसे,
बस होना बेवजह_हमेशा..
जैसे मैं..
जैसे तुम..


© आद्या