...

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उमर
पैरो में पायल थी
माथे पर चंदन,
कितने खुशमिजाज दिन थे वो
जब नंगे पाव घुमा करती थी आंगन-आंगन।

पर उमर कहा समझती है,
बचपन ज़िंदगी भर कहा चलती है,
कितनी जल्दी सिखा दिया इसने चलना और बोलना
खिलौनों से नाता टूटा और किताबो...