...

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परिस्थितियाँ दर्द बयाँ कर देती हैं
परिस्थितियाँ दर्द बयाँ कर देती हैं ,
छोटी सी उम्र में बड़ा कर देती हैं !!!!!
कल तक जो बच्चे माँ से ज़िद किया करते थे ,
आज सब्र करना सीख गए ।
कल तक जो रो - रो कर अपनी बात मनवाया करते थे
आज खुद ही आँसू पोंछना सीख गए ।
परिस्थितियाँ दर्द बयाँ कर देती हैं ,
छोटी सी उम्र में बड़ा कर देती हैं !!!!!


आज स्कूल वापसी में चेहरे पर ख़ुशी नहीं होती ,
क्यूंकि बस स्टॉप पर इंतज़ार करने के लिए माँ नहीं होती।
खोल कर ताला घर में खुद ही जाना पड़ता है ,
क्यूंकि दरवाज़े पर उसके आने की कोई राह नहीं ताकता है।
कंधे उस बच्चे के कुछ झुक से गए...