जमीं पर आ जाता है
जो खुशियां देता वही रुलाता है,
आज साथ फिर दूर चला जाता है;
वक्त की अजमाइशें बेहिसाब होती,
फिर सिरहाने रख यादों की पोटली,
सजाकर फूल व कांटों से लम्हों को,
दूरियों पर रोता और मुस्कुराता है।
बंदिशें नही; जितनी रुसवाई उसकी,
आज पास है फिर...
आज साथ फिर दूर चला जाता है;
वक्त की अजमाइशें बेहिसाब होती,
फिर सिरहाने रख यादों की पोटली,
सजाकर फूल व कांटों से लम्हों को,
दूरियों पर रोता और मुस्कुराता है।
बंदिशें नही; जितनी रुसवाई उसकी,
आज पास है फिर...