...

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.....हिंदी.....
क्या कहूँ मैं उस भाषा को जिसके हम स्वयं आधार हैं,
हम हिंदी से हैं हिंदी हमसे नहीं
हिंदी तो हमारी भावनाओं का प्रकार है।
कितनी सरल और सुलभ है ये भाषा
ये तो है हिंदुस्तान की आशा ।
यूँ तो कहने को मात्र भाषा ही हिंदी हमारी
पर शब्दो की गहराइयाँ भी तो देखिए
पूरे भारत की शान है हिंदी हमारी ।
जैसे पानी बिन प्राडी है प्यासा
सच कहूँ तो जब दिल को...