...

9 views

ज़िक़्र ए ज़िंदगी.....💯
मेरी ज़िंदगी का है अजीब मसला
सब मिला कुछ मिलकर रह गया
हर जगह जिस सांचे में ढली
कमाल तो तब हुआ
कि साथ तब भी न चल सकी
कभी बनी सहर कहीं
कहीं किसी की बन शाम ढली
कभी धोके को भी शिद्दत से निभा चली
कभी अंधेरे में भी रोशनी बनी
पर फिर भी न किसी का साथ मिला
न मैं किसी की कुछ बनी
सब जानते थे दर्द मेरा
कुछ पल संभाल लिया मुझे
पर साथ वाले ने सिखाया
के कोई नहीं है साथ मेरे
मोहब्बत की शिद्दत तक निभानी चाही चाहत मैंने
पर मेरी तरह मुझे कोई मिला नहीं
कुछ पल मेरी तरह वो बन भी गया
जो आज बदला बदला सा है कभी
अजनबी से जान...