...

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और फिर मैंने जाना कि..
और फिर मैंने जाना कि‌
कैसे एक लफ़्ज़ तुम्हें चुप करा सकता है
कैसे इक चाँद तुम्हें हज़ारों रातें जगा सकता है
कैसे इक ख़याल‌ तुम्हें दुनिया भुला सकता है
कैसे इक शख़्स जीते जी जान से जा सकता है
कैसे इक‌ लम्हा पूरी ज़िन्दगी दोहरा सकता है
कैसे इक ख़्वाब हर रात की नींदें उड़ा सकता है
कैसे इक टूटा दिल किसी को बेहद चाह सकता है

और‌ फिर मैंने जाना कि
कैसे कोई किसी शख़्स को उसकी
ग़ैर मौजूदगी में भी गले से लगा सकता है.!

हाँ.! और फिर मैंने जाना कि
कैसे बग़ैर साँसों के
कैसे बग़ैर धड़कनों के
कैसे बग़ैर किसी वजह के
कैसे बग़ैर ज़िन्दगी के
कैसे बग़ैर किसी ख़ुशी के और..
कैसे बग़ैर तुम्हारे जिया जा सकता है..!