बाबाओं की वास्तविकता
(निलोत्पल मृणाल जी कहते है ।
"ए कवि कविता नही ,अपने समय की चिंता लिखो" )
मित्रो काल्पनिकता लिखने से लाख गुना अच्छा वर्तमान की स्थिती लिखी जाए ।
आजकल ढोंगी बाबा लोगो को बहुत लूटते है इसी पर कुछ लिखा है ।
ताकि ये ढोंग लोगो तक पहुंच सके इस माध्यम से कुछ ही पर लोगो मे जागरूकता आए।
"मै भगवान के घर से आया
और दूत हूं उनका प्यारा ।
दुनिया मेरे कहे पे चलती।
बना हूं बाबा निराला ।
मस्तक पर है तिलक सुशोभित
तन केसरिया, भगवा डाला ।
हाथो मे है डमरू , डम डम
गले में तुलसी की माला ।
निर्देशित करता हूं सबको
ज्ञान दिया हूं...
"ए कवि कविता नही ,अपने समय की चिंता लिखो" )
मित्रो काल्पनिकता लिखने से लाख गुना अच्छा वर्तमान की स्थिती लिखी जाए ।
आजकल ढोंगी बाबा लोगो को बहुत लूटते है इसी पर कुछ लिखा है ।
ताकि ये ढोंग लोगो तक पहुंच सके इस माध्यम से कुछ ही पर लोगो मे जागरूकता आए।
"मै भगवान के घर से आया
और दूत हूं उनका प्यारा ।
दुनिया मेरे कहे पे चलती।
बना हूं बाबा निराला ।
मस्तक पर है तिलक सुशोभित
तन केसरिया, भगवा डाला ।
हाथो मे है डमरू , डम डम
गले में तुलसी की माला ।
निर्देशित करता हूं सबको
ज्ञान दिया हूं...