...

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रुको पिताजी अभी फादर्स डे मनाना बाकी है।
अभी आपके लिए कुछ किया नही है ये ऋण चुकाना बाकी है।

रूको पिताजी अभी फादर्स डे मनाना बाकी है।

जिसने जो कहा सुना है मेने बस आपको या मुजे अब जवाब देना बाकी है।

रूको पिताजी अभी फादर्स डे मनाना बाकी है।

तब तक क्या मनाऊ फादर्स डे जब तक आपकी उम्मीदों पे खरा ना उतरु।

रुको पिताजी अभी फादर्स डे मनाना बाकी है।

पैसे कमाएंगे खूब घूमेंगे खुद की गाड़ी में आपको गुमाएँगे।

रुको पिताजी अभी फादर्स डे मनाना बाकी है।

जिसका कर्ज लिया है उसको भी चुकाएंगे आपके सर से ये बोझ उतारेंगे।

रुको पिताजी अभी फादर्स डे मनाना बाकी है।

उम्र आपकी ढलती जा रही है उसे फिर से जवा करने की जिम्मेदारी निभानी है।

रुको पिताजी अभी फादर्स डे मनाना बाकी है।

- विजय चौधरी

Poem written by me for all father and sons love.
© विजय चौधरी