...

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क्या मर चुकी हैं आत्माएं ??

विश्वास के पहरों में बांध के
छल प्रपंच रचते हो
वास्तविकताओं को ढांक के
मिथ्या भाषी बनते हो
रख के ताक पर हर बंधन
स्वार्थ सिद्ध करते हो
क्या यही पर्याय जीवन का
ईर्ष्या-द्वेष भाव मन रखते हो??

मन नहीं नियंत्रित
बहे जा रहा अहम् के बहाव में
सही गलत सब छोड़ के
ढकोसलों के...