...

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na jaane kya haal hai...
कुछ तो बात है जो याह दिल इतना परेशान है,
इस बार कुछ यूं टूटा है कि ये रूह भी हैरान है,
जज़्बात तो जैसे सर-ए-आम नीलाम है,
भरे महफ़िल में भी बस तन्हाई के ही जाम है,
जरूर कोई अनसुनी अनकही से दास्तान है,
घुटन जलन तन्हाई ये लफ्ज तो बहुत आम है ,
जो हो रहा है कत्ल-ए-नकाब है,
बरबाद भी हम ही हैं और हम ही बदनाम हैं...
© piyusha's