...

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मोहब्बत
तेरे आँसुओं का मेरे आँसुओं से बंधन जोड़-कर
हर धर्मों, मज़हबों, रीति-रिवाजों की झुटी कसमों कि दिवारों को तोड़-कर
तेरे लिए आ जाऊगा
इन तूफानी हवाओं का रुख मोड़-कर

वक़्त के हाथों बनाई हर जंज़ीरों को तोड़-कर
उस विधाता की लिखी नियती से मुँह मोड़-कर
तेरे आँसुओं का मेरे आँसुओं से बंधन जोड़-कर
© SK BHARAT