...

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इश्क़ की उम्र
मेरे इश्क़ की उम्र बनीं रहें यूँ हरदम जवां,
ऐ ख़ुदा! वो ना हो कभी मेरी रूह से जुदा।

तन्हाई लुभाने लगी है जबसे उनसे दूर हुए,
इश्क़ में इंतजार का होता है अपना मज़ा।

मेरी सल्तनत है आज़ भी उनकी ख़ुशियाँ,
उनके सारे ग़म मेरे उनसे नही हूँ मैं ख़फ़ा।

वो ख़ुश है अपनी दुनिया में मुझे भूलाकर,
पर उनके बिन लगें मुझे ये ज़िन्दगी सज़ा।

वो थी वो है वो ही रहेगी दिल में "खराज"
संग चलता है उनकी यादों का काफ़िला।

© पुखराज