...

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मानव…!!!

पल-पल पर होता शोषण
पग-पग पर मिलती पीड़ा
कण-कण होता जीवन
फिर कहाँ है वो नर नारायण
कहाँ है वो नील-कण्ठ-विषधारी
कलेजे मे कटार सी है
बसन्त से बहार छीन गयी
हरियाली सी ज़िन्दगी सुलग गयी
संत-असंत हो गया ...