अनामिका अंबर जी और बिहार की राजनीती......
स्याही में जो घोला करती लाकर खून कलेजे से।
कलम भला कब डरती है वो सिंहासन के रुतबे से
सच तो सच है नही बदलता कभी किसी भी सूरत में
पर सब सच को देख रहे हैं अपने अपने चश्मे से।
कलम भला कब डरती है वो सिंहासन के रुतबे से
सच तो सच है नही बदलता कभी किसी भी सूरत में
पर सब सच को देख रहे हैं अपने अपने चश्मे से।
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