...

6 views

अच्छा है!
अपनी तक़दीर में हैं जब जुदाई लिखी
फ़िर यूं सहरा में मिलना कहाँ अच्छा है
तेरे ख़ातिर लुटी अब जो शोहरत मेरी
फिर अमीरी का सपना कहाँ अच्छा है
तुम समझो मुहब्बत मेरे बस की नहीं
पर ख़यालों में आना कहाँ अच्छा है
तुमसे कही बातें अब तुम तक रहें
अपने जीने की ख़ातिर यही अच्छा है