...

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अपनों का साथ
हम बाल रूप मे अकेले ही जन्म लेते है इस धरा पर,
और वृद्ध होने पर अकेले ही विदा हो जाते है धरा से ।

जन्म के साथ ही ढ़ेरो रिश्ते भी जन्म लेते है हमारे साथ,
जन्म के साथ ही जिम्मेदारिया जुड़ जाती है हमारे साथ।

सजा रहता है सदा हमारा जीवन इन्ही अपनों के साथ ,
सुख-दुख व त्योहार हम मनाते है इन्ही अपनों के साथ।

खुशी का भरपूर आनंद आता है हमे अपनों के साथ,
गम के समय हमारे आंसू पोछते है अपनों के हाथ।

रहे सदा कोशिश हमारी खुश करने की अपनों को,
भूल से भी ना दुखायें दिल कभी हमारे अपनों का ।

बना रहे सदा हमारे इन्ही अपनों का साया हमारे साथ ,
ना जीना पड़े कभी एक भी दिन किसी अपने के बिन ।

© रीवा