...

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वो याद काफी नहीं
जो सुबह को आती नहीं
और शाम को जाती नहीं
उसके चेहरे के शिवा
और कोई भाती नहीं
वो याद काफी नहीं

था उसके वादों के शहारे
अब हौशला हैं हारे
मकसद नहीं जीने का
उसके बिना रे
वो याद काफी नहीं
© sushant kushwaha