वो याद काफी नहीं
जो सुबह को आती नहीं
और शाम को जाती नहीं
उसके चेहरे के शिवा
और कोई भाती नहीं
वो याद काफी नहीं
था उसके वादों के शहारे
अब हौशला हैं हारे
मकसद नहीं जीने का
उसके बिना रे
वो याद काफी नहीं
© sushant kushwaha
और शाम को जाती नहीं
उसके चेहरे के शिवा
और कोई भाती नहीं
वो याद काफी नहीं
था उसके वादों के शहारे
अब हौशला हैं हारे
मकसद नहीं जीने का
उसके बिना रे
वो याद काफी नहीं
© sushant kushwaha
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