...

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हम ब्राह्मण हैं
हम हैं एक ऊभरती नई संस्कृती,
भिन्न अन्य जातिओं से, नई हमारी रीति
रीति रिवाज जाति धर्म से ऊपर,
हम हैं एक ऊभरती नई संस्कृती
सात्विक आहार और शुद्ध विचार,
करते जिनके पोषण,
हम वो ऊभरती नई संस्कृती
संन्यासी से प्रतीत होते,
पर हम कोई संन्यासी नहीं
जनक जिनके पुरोधा,
ऐसे हैं हम पावन गृहस्थी
जिन्होको पल पल सींचे,
त्याग, तपस्या और आचरण
सभी जातियों और धर्मों से हमारी प्रिती,
जोडें ईश्वर से, कराए दैवी अनुभूति
प्रकाश से ऊजीयारे जिन्होके अंन्तःकरण
जिन्होके लिऐ मुख्य है, गुणों का ग्रहण,
ऐसे दीव्य सी है, हमारी यह ऊभरती संस्कृती
सद्भाव और सत्कार से, रहें सभी परष्पर
सभी प्रियजन बनें ब्राह्मण,
दिव्य यह धारा, बहे निरन्तर
जो ब्रह्मा सा करें संकल्प संयोजन और
विष्णु सा करें सृजित संकल्पों का कर्म-रोपण
ऐवं शंकर सा करें व्यर्थ का परीवर्तन
ऐसे ऊभरती ब्राह्मण संस्कृति के सुत्रधार हम

ॐ शान्ति

© Mr. Birendra K Debta