भेद
धूम - धाम से स्वागत करते हैं
बहू की पुरी साज सजावट करते हैं
लुटाते है प्यार बेशुमार
देते हैं बेटी जैसा ही अधिकार
फिर भी एक बात है खटकती
अपने रंग में ढालने को
क्यू बनाते हैं उस पर दबाव...
बहू की पुरी साज सजावट करते हैं
लुटाते है प्यार बेशुमार
देते हैं बेटी जैसा ही अधिकार
फिर भी एक बात है खटकती
अपने रंग में ढालने को
क्यू बनाते हैं उस पर दबाव...