...

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यार मुझे कही फिर से मोहब्बत न हो जाये
रुक जाऊं या चल दू संग,
जो थामे हाथ रंगे अपने रंग..

ये बेचैनिया फिर होने लगी,
नींद फिर रातों से खोने लगी..

उसकी मुस्कराहट, उसकी सादगी,
कही उलझा न दे,मेरी ये आवारगी..

टूटा था मै जोड़ रहा है वो,
फिर क्यों डर है जैसे छोड़ रहा है वो..

कही ऐसा न हो मुझ पर तोहमत न हो जाये,
यार मुझे कही फिर से मोहब्बत न हो जाये..

© IndoreKeGopal