पांचाली!मत बांधना केशराशि।
छली गई हो
अनादि..अनन्त काल से
प्रेम-पराकष्ठा में..
कभी पत्थर बनकर प्रमाण देती हो,
तो कभी धरती तेरा मान बचाती है!!
पूछती हूँ
जवाब दोगी??
क्यों देती रही हो
प्रमाणों का कच्चा चिट्ठा??
क्यों समा जाती हो धरती में
क्यों विवश हो पत्थर बनने पर
क्यों...
अनादि..अनन्त काल से
प्रेम-पराकष्ठा में..
कभी पत्थर बनकर प्रमाण देती हो,
तो कभी धरती तेरा मान बचाती है!!
पूछती हूँ
जवाब दोगी??
क्यों देती रही हो
प्रमाणों का कच्चा चिट्ठा??
क्यों समा जाती हो धरती में
क्यों विवश हो पत्थर बनने पर
क्यों...