...

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खत और तुम
गिरह खोल दी है एहसासों की
ताकि स्याही अपना रास्ता चुने
बेसुध से पड़े अरमाँ जो है
अब पंख मिले तो उड़ान चुने
कुछ ताने बाने है हमारे दरमियाँ
तुम हामी भरो तो तुम्हे चुने
नाम ज़रूरी नही हर खत मे
मेरी कलम और अल्फ़ाज़ सिर्फ तुम्हे चुने
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