...

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!..फिलिस्तीन की आवाज...!

मुजाहिद के लिए तो मैदान है मुल्ला के लिए है घर अपना
तुम घर को बचाए रखना ये, शोहदा तो कयामत कर देंगे!

जो घर से निकल कर आए है कौसर से पियेंगे जाम अपना
दीदार ए मुहम्मद कर के वो अल्लाह के लिए मर जाएंगे !

कल रोज ए कयामत को तुमसे पूछेंगी ये नन्हीं नन्हीं कलिया
जब जुल्मों सितम का अंबर था तुम चैन की करवट सोए थे

अल अक्सा के लिए हम मर ही गए आया ना कोई जब साथ यहां
जुल्मों सितम हम सह सह कर जंग में बच्चो को भेजा करते थे

दुनिया के मुसलमान सुन लो तुम, रोज ए मेहशर अदल तो होना है
आका के जानिब कर के तुम्हे पूछेंगे कि क्या उम्मत हो तुम इनके

© —-Aun_Ansari