...

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ग़ज़ल...
जब भी तुमको, अपने रू-ब-रू देखता हूँ
मैं उस ख़ुदा को तुझ में, हू-ब-हू देखता हूँ

महकता है दिल मेरा, आपके आ जाने से
बिखरती है हर ओर, एक खुशबू देखता हूँ

तेरे प्यार के सिवा, अब ना है कोई चाहत
जिंदगी की यह, आखिरी आरज़ू देखता हूँ

तुम मेरे ख्वाबों में, आती हो हर ऱोज ही
और ख्यालों में तुम से, गुफ्तगू देखता हूँ

आँखें खुली हों या बंद, दिखती हो तुम
'नीर' अब तो बस तुम्हें, हर-सूँ देखता हूँ।

© @nirmohi_neer