...

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तू, मैं और बनारस
मेरे हाथों में तेरा हाथ हो
और बी. एच. यू. की सड़कों पर तेरा साथ हो
एक प्यारा सा मौसम हो
और रिमझिम सी प्यारी बरसात हो
तो बात बन जाए,
शायद शिव की कृपा से तेरा मेरा साथ बस जाए ,
ख्वाब तो बस यही है मेरा की
कुछ इस तरह से हमारी पहली मुलाक़ात हो
और फिर एक प्यारे से रिश्ते की शुरुवात हो ।
तुझे गंगा का पावन जल मानकर
तेरे अंदर इस कद्र डूब जाऊं की
बाहर कभी ना निकलूं मैं,
तुझे सहर बनारस मानकर
तुझे पूरा - पूरा घूम लूं मैं ।
तेरी खूबसूरती क्या बयां करू मैं
तू घाटों की सुन्दर शाम सी है,
तुझमें खो जाऊं इस क़दर मैं
जैसे तू कोई नई नई आयाम सी है ।
पान बनारसी के रंग के जैसा
रंग तेरा मुझपे चढ़ गया है,
तेरा नशा चढ़ गया मुझ पर ऐसे
जैसे नशा चाय का चढ़ गया है ।
कई चाहतों में मेरी,चाहत एक ये भी है
साथ बन जाए तेरा मेरा जन्मों का,
और जो साथ एक बार तू दे दे मेरा तो
तो शाम - ए - बनारस की तरह हमारी भी,
एक अलग पहचान बन जाए ।।
© chhipi__kalam