...

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मुहब्बत का तराना
2122 2122 2122
हर गिला शिकवा भुलाना है मुहब्बत
ज़िन्दगी का इक तराना है मुहब्बत

ज़िन्दगी का नाखुदा इसको बना लो
डूब कर फिर तैर जाना है मुहब्बत

नफरतों से क्या भला हासिल करेगा
हर किसी दिल में समाना है मुहब्बत

ख़्वाब दिन में ही दिखाए जा रही है
रूठना फिर मान जाना है मुहब्बत

आज कल है दौर ऐसा बदगुमां सा
दौर से इस पार पाना है मुहब्बत

सुन बहारें क्या सदाएं दे रही हैं
बाद मुद्दत लौट आना है मुहब्बत

ज़िन्दगी बोझिल बहुत होने लगे तो
बिन वजह ही मुस्कराना है मुहब्बत

राज़ ये इस ज़िन्दगी का कौन जाने
हार कर दिल जीत जाना है मुहब्बत

ज़िन्दगी "मासूम" यूं जी ले ज़रा तू
जान कर भी हार जाना है मुहब्बत

© अमरीश अग्रवाल "मासूम"