कमज़ोर
न चाहा मैने कभी ग़लत राहों को,
न भाया मैं कभी ग़लत निग़ाहों को.
न मुझे थी कभी शिक़ायत किसी की,
न मुझे थी कभी ईष्या किसी की.
फिर भी न जाने मैं क्यों?
सभी के लिए मैं एक फ़ीका डोर था,
मैं सभी के लिए एक कमज़ोर था.
चाहा मैने दिल से सभी को अपना,
लेकिन अपनो ने भी मुझे हमेशा पीछे छोड़...