...

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खामोशी में शोर.....
वो खामोश रह कर भी बहुत कुछ कह गई,
चुप रह कर सब कुछ सह गई,
हवा की तरह तेज़ सी गुज़र गई,
मौसम के पहर सी बन गई,
रोशनी से रिश्ता तोड़,
अंधेरे से दोस्ती कर गई,
हँसी के पीछे आँसूं छुपा गई,
आवाज़ के पीछे दर्द बिछा गई,
नींदों के नीचे ख्वाब सजा गई,
सुंदरता के पीछे राज़ बिछा गई,
गुस्से के पीछे वजह छुपा गई,
साहस और आत्म विश्वास के कदम छाप गई,
बुरे वक़्त में हिम्मत और विश्वास की रोशनी जगा गई,
लम्हो में अंदाज़ छोड़ गई,
वो खामोश रह कर भी बहुत कुछ कह गई..........
© Kashish Chandnani