...

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तुम बिन सूना सारा संसार
पिया तुम बिन सूना- सूना लागे है सारा संसार,
दिल तुझको पुकारे लौट कर आजा एक बार।

रैन बीती नैनों में, रूठी बैरन निंदिया हमसे,
याद कर- कर तोहे, बहे है अंसुवन की धार।

कली- कली है मुरझाई, बिरहा की लगी है आग,
तुम्हारी बे-रुख़ी से रूठा मुझसे मेरा सिंगार।

मुझ बिरहन की भीगी पलकें रह-रहकर छलकें,
बिखर गए सुर सारे, सूना है मन का सितार।

तुम बिन भाए न मुझको अब तो ये बाहर,
हर खुशी से रीता- रीता रहता है मेरा मन- द्वार।

तेरी लौट आने का दिल को यकीं है ज़रुर,
आएगा दिल को करार जब नैना होंगे चार।

सुन ले पिया मेरे इस तड़पते दिल की पुकार,
रुख़सत होने से पहले लौटकर आ जा एक बार।