मेरा चेहरा दुनिया से दूर है
मेरा चेहरा दुनिया से दूर है
क्यूंकि इसपर मेहनत
से सजा नूर है
मेरा चेहरा प्यार से दूर है
क्यूंकि सहमत नहीं
मेरी बात से कोई
इसलिए रहमत नहीं
Kabir 47
है तो सिर्फ नफरत
जिसके आगोश मेें
चले जा रहा हूँ
खामोश क्यूँ हूँ?
मैं इसके एहसास मेें
ढले जा रहा हूँ
अपनी हर हार से मैं
फिर एक बार लड़े जा रहा हूं
ये कौन-से पहरे का गुरूर है
मेरा चेहरा दुनिया से दूर है
© kabir_47
क्यूंकि इसपर मेहनत
से सजा नूर है
मेरा चेहरा प्यार से दूर है
क्यूंकि सहमत नहीं
मेरी बात से कोई
इसलिए रहमत नहीं
Kabir 47
है तो सिर्फ नफरत
जिसके आगोश मेें
चले जा रहा हूँ
खामोश क्यूँ हूँ?
मैं इसके एहसास मेें
ढले जा रहा हूँ
अपनी हर हार से मैं
फिर एक बार लड़े जा रहा हूं
ये कौन-से पहरे का गुरूर है
मेरा चेहरा दुनिया से दूर है
© kabir_47