...

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मौत भी नहीं आती
उसके बाद कोई उम्मीद नहीं आती
ज़िन्दगी में कोई खुशी नहीं आती

तुम्हारे साथ को तरसते हैं हम और
तुम्हारी परछाईं भी नज़र नहीं आती

लौट जाते हैं हर शाम घर को
यार हमको आवारगी नहीं आती

हर रोज़ बढ़ता ही जाता है थोड़ा
कि अब दर्द में कुछ कमी नहीं आती

तुम थे तो ज़िन्दगी खूबसूरत थी
तुम्हारे बग़ैर अब ये भी रास नहीं आती

जीना तो वैसे भी मुश्क़िल है ही 'प्रति'
उस पर ये कि‌ हमें मौत भी नहीं आती