8 views
मौत भी नहीं आती
उसके बाद कोई उम्मीद नहीं आती
ज़िन्दगी में कोई खुशी नहीं आती
तुम्हारे साथ को तरसते हैं हम और
तुम्हारी परछाईं भी नज़र नहीं आती
लौट जाते हैं हर शाम घर को
यार हमको आवारगी नहीं आती
हर रोज़ बढ़ता ही जाता है थोड़ा
कि अब दर्द में कुछ कमी नहीं आती
तुम थे तो ज़िन्दगी खूबसूरत थी
तुम्हारे बग़ैर अब ये भी रास नहीं आती
जीना तो वैसे भी मुश्क़िल है ही 'प्रति'
उस पर ये कि हमें मौत भी नहीं आती
ज़िन्दगी में कोई खुशी नहीं आती
तुम्हारे साथ को तरसते हैं हम और
तुम्हारी परछाईं भी नज़र नहीं आती
लौट जाते हैं हर शाम घर को
यार हमको आवारगी नहीं आती
हर रोज़ बढ़ता ही जाता है थोड़ा
कि अब दर्द में कुछ कमी नहीं आती
तुम थे तो ज़िन्दगी खूबसूरत थी
तुम्हारे बग़ैर अब ये भी रास नहीं आती
जीना तो वैसे भी मुश्क़िल है ही 'प्रति'
उस पर ये कि हमें मौत भी नहीं आती
Related Stories
12 Likes
4
Comments
12 Likes
4
Comments