जीवन का आधार -- मां
मां....
एक ऐसा एहसास
जिसके आगे फीके से लगते हैं
हर जज़्बात
मां....
जिसकी सांचे में ढल कर
हम सब ने पाया जीवन का आधार नया
सोचो गर मां न होती
तो ये जीवन कितना निराधार होता
ममत्व की एक झलक पाने को
व्याकुल मन हर घड़ी है रोता
मां से जुड़ी है यहां हर प्राणी की आस
मां नहीं तो जग अंधकारमय
मां है तो जगत में है प्रकाश।
अपनी मां को हर विकट परिस्थिति में
मैंने अपने पास है पाया
आज न...
एक ऐसा एहसास
जिसके आगे फीके से लगते हैं
हर जज़्बात
मां....
जिसकी सांचे में ढल कर
हम सब ने पाया जीवन का आधार नया
सोचो गर मां न होती
तो ये जीवन कितना निराधार होता
ममत्व की एक झलक पाने को
व्याकुल मन हर घड़ी है रोता
मां से जुड़ी है यहां हर प्राणी की आस
मां नहीं तो जग अंधकारमय
मां है तो जगत में है प्रकाश।
अपनी मां को हर विकट परिस्थिति में
मैंने अपने पास है पाया
आज न...