...

3 views

⚘️बूँदें।
बूँदें कथा जीवन लय की गातीं हैं
बूँदें व्यथा भी कुछ कह सुनातीं हैं,
बूँद बूँद जब बूँदें मिलतीं
सागर एक बन जातीं हैं
बूँद बूँद कर ग़र यह रिसतीं
खाली गागर कर जातीं हैं।।
इन बूँदों से सृष्टि रची है
इन बूँदों की कई कई लङी हैं,
बूँद बूँद बुनतीं कण कण को
सजा देतीं हर सचल और जङ को
चुन कर बूँदें यह रख देतीं
अपनी धरा और विशाल इस गगन को।।
बूँदों की सरगम में सृजन की सौगात सजी है
इन्हीं बूँदों से हर औकात बसी है,
इन बूँदों की छम छम से देखो
सृष्टि की कायनात तनी है
बूँद बूँद हर काया को बुनती हैं
परिवेश सजाने को ये एक एक को चुनती हैं।।
बूँदों की यह कथा निराली
कण कण बिखरा देतीं है पत्थर कठोर
कर उनको धूल और धूसर
बूँद-बूँद कर रख देतीं हर असबाब
इन बूँदों पर अहबाब न चले कोई जोर
कुछ पल तो बूँदें होतीं बङी अधीर और अघोर।।
हर विध्वंस की निषुदन बूँदें
हर प्रशस्ति की स्पंदन बूँदें
बङी निराली मतवाली यह बूँदें
बूँद बूँद देखो तो बसती बस्ती
बूँद बूँद से सजती हर हस्ती
इन बूँदों से रखना होता है मेल
सहज सहना फिर इन बूँदों का खेल।।
✍️राजीव जिया कुमार,
सासाराम,रोहतास,बिहार।।















© rajiv kumar ।