...

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सफरनामा
दुनिया का यही दस्तूर है
सुनो तुमको भी निभाना है
निभा ली बेटी की जिम्मेदारी
अब बहु का फर्ज निभाना है

ये बेटी से बहु तक का सफर
आसान नही होता है ये डगर
कही खुशियो की बारात है
तो बनती कही दर्द का कहर

बिखर जाते है सपने कई
बिछड़ जाते अपने सभी
कैसा ये रिवाज बनाया है
हमारा घर किसे ठहराया है ...!