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ग़ज़ल : आगाज़ से अंजाम तक
आगाज़ से अंजाम तक लाया न गया
वो किस्सा वफ़ाओं का भुलाया न गया

कुछ ऐसे मक़ामात भी उल्फ़त में रहे
तुम आए नहीं मुझ से बुलाया न गया

यह सोच के तुमको न कभी याद किया
अब और ये दिल खुद से दुखाया न गया
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