...

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न जाने क्यों,मुझे अच्छा लगता है।
तुम्हारा यूं मुस्कराना,
न जाने क्यों ,
मुझे अच्छा लगता है।
देखकर कनखियों से,
फ़िर तुम्हारा छुप जाना,
न जाने क्यों,
मुझे अच्छा लगता है।
धीरे धीरे खिड़की के पट खोल,
तुम्हारा यूं झांकना,
और फिर छुप जाना,
न जाने क्यों,
मुझे अच्छा लगता है।
याद है मुझे वो दिन,
मिले थे तुम ,
राह में एक दिन,...