...

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हे केशव सब ठुकरा चुके,तुम ही स्वीकार करो❣️❣️❣️❣️
सिवाय तुम्हारे अब किससे कहें,
सिवाय तुम्हारे अब किसके रहें,

हे केशव सब ठुकरा चुके,
तुम ही स्वीकार करो,

व्याकुलता पनपी है हृदय रिक्त सा है,
तुम ही समुचित उपचार करो,।।🙌🙌🙌

अब छोड़ दिया रखना आस सबसे,
तोड़ते आ रहे हैं ये लोग मुझे कबसे,

अनुपयोगी सा महसूस करता हूँ मैं यहाँ,
रास नहीं आता मुझे ये रुग्णता ग्रस्त जहां,
कुछ भीतर शून्य सा है मेरे,
तुम ही अनंत तक विस्तार करो,

हे केशव सब ठुकरा चुके,
तुम ही स्वीकार करो ।।🙌🙌🙌

पाषाण बने बैठे हैं जीने जीता जागता माना था,
सब पराया कर बैठे जिनको अपना माना था,
समय स्वयं उलझा हुआ है उहापोह की माया में,
जीवन धीरे धीरे जकड़ गया है विकारों की छाया में,
मुझको अवधूत कर के गिरधर,
इन विकारों का संघार करो,

हे केशव सब ठुकरा चुके,
तुम ही स्वीकार करो ।।🙌🙌🙌

© सौ₹भmathu₹