...

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काम क्रोध मद मोह लोभ
"काम क्रोध मद मोह लोभ को चित से बहाए दीजे"
" मीरा के प्रभु गिरधर नागर ता के संग में भीजे "

मीराबाई द्वारा रचित ये पंक्तियाँ कितना सार्थक व स्पष्ट
अर्थ बता रही हैं....

'काम' (कामवासना) जब उठती हैं तो उसके पीछे-पीछे 'क्रोध' भी यात्रा...